OtherPapers.com - Other Term Papers and Free Essays
Search

Mai Bhartiye Hoon

Essay by   •  August 1, 2011  •  Essay  •  423 Words (2 Pages)  •  1,192 Views

Essay Preview: Mai Bhartiye Hoon

Report this essay
Page 1 of 2

मेरे

देश का हाल किस से छुपा है

हर देश वासी को सब पता है

कैसे

चुनाव जीते जाते हैं

नेता सरकार बनाते हैं

चुनाव में टिकिट मिलते हैं

नेता वादे तोड़ते हैं

मान को बेचते हैं

अपराधी बचते हैं

गरीब रोते हैं

भूख से मरते हैं

वादों में फंसते हैं

हर काम के पैसे देते हैं

फिर भी खुश हूँ

आशा में जिया हूँ,निरंतर जी रहा हूँ

सब जानते हुए भी,लाचार नहीं हूँ

फिर कोई सुभाष पैदा होगा

कोई गांधी जन्म लेगा

जो देश के लिए लडेगा

देश के लिए मरेगा

हालात को बदलेगा

jo सोए देश को एक नई पहचान dega

jo नंगों को कपड़ा, भूखों को अन्न dega

कुटिल,कामियों को बुद्धि दान dega

मरती स्वतंत्रता को जीवनदान daan dega

इस नवयुग को स्वाभिमान दान dega

भूल चुके जो अस्तित्व संस्कृति का

उनको गणतंत्र का नया विधान dega

दुर्मति का मिटा नामोनिशान dega

भारत माता ka फिर-से jo तिरंगा तान dega

Aur phir हर शख्श

मैं भारतीय हूँ,गर्व से कहेगा

मैं भारतीय हूँ,

गर्व से कहेगा

मैं भारतीय हूँ,

गर्व से कहेगा

मैं भारतीय हूँ,

गर्व से कहेगा

मैं भारतीय हूँ,

गर्व से कहेगा

मैं भारतीय हूँ,

गर्व से कहेगा

मैं भारतीय हूँ,

र्व से कहेगा

मैं भारतीय हूँ,

गर्व से कहेगा....! ! !

भूल चुके जो अस्तित्व संस्कृति का

उनको गणतंत्र का नया विधान dega

दुर्मति का मिटा नामोनिशान dega

भारत माता ka फिर-से jo तिरंगा तान dega

Aur phir हर शख्श

मैं भारतीय हूँ,गर्व से कहेगा...! ! !

...

...

Download as:   txt (6.1 Kb)   pdf (90.3 Kb)   docx (11.6 Kb)  
Continue for 1 more page »
Only available on OtherPapers.com