Mai Bhartiye Hoon
Essay by Kriti16 • August 1, 2011 • Essay • 423 Words (2 Pages) • 1,192 Views
मेरे
देश का हाल किस से छुपा है
हर देश वासी को सब पता है
कैसे
चुनाव जीते जाते हैं
नेता सरकार बनाते हैं
चुनाव में टिकिट मिलते हैं
नेता वादे तोड़ते हैं
मान को बेचते हैं
अपराधी बचते हैं
गरीब रोते हैं
भूख से मरते हैं
वादों में फंसते हैं
हर काम के पैसे देते हैं
फिर भी खुश हूँ
आशा में जिया हूँ,निरंतर जी रहा हूँ
सब जानते हुए भी,लाचार नहीं हूँ
फिर कोई सुभाष पैदा होगा
कोई गांधी जन्म लेगा
जो देश के लिए लडेगा
देश के लिए मरेगा
हालात को बदलेगा
jo सोए देश को एक नई पहचान dega
jo नंगों को कपड़ा, भूखों को अन्न dega
कुटिल,कामियों को बुद्धि दान dega
मरती स्वतंत्रता को जीवनदान daan dega
इस नवयुग को स्वाभिमान दान dega
भूल चुके जो अस्तित्व संस्कृति का
उनको गणतंत्र का नया विधान dega
दुर्मति का मिटा नामोनिशान dega
भारत माता ka फिर-से jo तिरंगा तान dega
Aur phir हर शख्श
मैं भारतीय हूँ,गर्व से कहेगा
मैं भारतीय हूँ,
गर्व से कहेगा
मैं भारतीय हूँ,
गर्व से कहेगा
मैं भारतीय हूँ,
गर्व से कहेगा
मैं भारतीय हूँ,
गर्व से कहेगा
मैं भारतीय हूँ,
गर्व से कहेगा
मैं भारतीय हूँ,
र्व से कहेगा
मैं भारतीय हूँ,
गर्व से कहेगा....! ! !
भूल चुके जो अस्तित्व संस्कृति का
उनको गणतंत्र का नया विधान dega
दुर्मति का मिटा नामोनिशान dega
भारत माता ka फिर-से jo तिरंगा तान dega
Aur phir हर शख्श
मैं भारतीय हूँ,गर्व से कहेगा...! ! !
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